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तरक्की और आधुनिकता ने जींवन का रस छीन लिया ......

तरक्की और आधुनिकता ने जींवन का रस छीन लिया ......


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कैप्शन (संक्षिप्त कथा) लोग गुम हैं मगर कहाँ? पूछिए तो सही।
#कहाँरहतेहो  #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi आज पहली बार जब चाँद को देखा तो अनगिनत यादों के बिम्ब दिमाग में बनते चले गए,,,,, भगीरथ दादा,ख़ैमा कक्कू,लवडू,घुग्घू,जीवनल्लाल
भूपल्लाल,अमियाँ,पदामो😆😆, पनगजमाम,पिररी,टेड़ा, डब्लू,डरुआ,सत्तोला, रिन्कू, बिट्टू,धुर्रा,जीतो,पप्पू,कोमल,
डंगिया,लुक्का,टल्ली😁,बल्ली,सुआ     खिट्टी,चीनी,😂😂😂😂 और भी जाने कितने नाम मेरे दिमाग में आते चले गए लड़कियों के भी नाम दिमाग में आये उनकी झेंझी फोड़ने के चक्कर में चौराहे पे हमारा टिड्डी दल कैसे जुगाड़ लगता था,
(टेसू ने दई कबड्डी झेंझी की फट गई चड्डी)हमारा उस दौर का राष्ट्रीय गीत हुआ करता था।(ओह्ह तेरे चिकने चिकने गाल देदे री मोय चुम्मा री चुम्मा री)।सामूहिक गान हुआ करता था।छोरी विचारी नाच कूद के घर आजातीं थी और हमारा दल जूते सपाट खेतों में अपना अपना मैदान बनालेते थे।सब अपने आप को दिल्ली के सुल्तान समझते थे।युद्ध के मैदान जैसा दृश्य, कोई सांगा कोई बाबर, कोई प्रताप,हल्दी घाटी,खानवा,मेवाड़,ब्रज,सब जैसे एक साथ सामने आगये हो बड़ा मनोरम और बिहंगम दृश्य बन जाता।थक कर चूर हो जाते फिर भी हार से परिचय नही हो पाता और कबड्डी छिड़ जाती टीम बन जाती सुबह तक बस यही। ओहो मित्रो महसूस करो कितनी खुशी मिलेगी तुम्हें ।आज पटाखे तो वहुत चले पर कुछ देर ही।मैंने खेतो की तरफ जाके देखा सब सूने आज वह सब नही बचा है रे ।रिंकू भाई याद है आज के दिन हम कुछ आवाजों का पीछा करते करते कितनी दूर निकल गए थे।अब वह सब नही है रे।या तो दूध में दम नही रही या सब इतना दूषित हो गया कि कोई एक दूसरे से मिलना तक पसन्द नही कर रहा ।एकाकी जीवन जीने में लगे है ।या तकनीकी ने तुम्हे पंगु कर दिया है।मोबाइल, लेपटॉप,टीवी,फेसबुक,व्हाट्सएप, बस इसी में दुनियां सिमट गई है।तरक्की और आधुनिकता ने जीवन का रस छीन लिया।युवा ###meetoo### के गोल बना रे है ।बच्चे ####c2###आधा देश sc/st आधा मूलनिवासी तो कुछ ##nota####में बटे पड़े है।धर्म संस्कृति के आधार पर तो पहले से ही बटे हुए थे अब नए वर्ग और पैदा हो गए।स्त्री को पुरुष से अलग कर दिया।स्त्री को पुरुष की जरूरत नही पुरुष को स्त्री की वाह रे ये विनास है या विकास पता नही ।मेरी बातों से किसी को दुख हुआ हो तो माफी चाहता हूं ये मेरे व्यक्तिगत विचार है।आप सभी के जीवन में शरद पूर्णिमा अमृत वर्षा करती रहे ।जय भारत जय राजस्थान।
तरक्की और आधुनिकता ने जींवन का रस छीन लिया ......


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#कहाँरहतेहो  #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi आज पहली बार जब चाँद को देखा तो अनगिनत यादों के बिम्ब दिमाग में बनते चले गए,,,,, भगीरथ दादा,ख़ैमा कक्कू,लवडू,घुग्घू,जीवनल्लाल
भूपल्लाल,अमियाँ,पदामो😆😆, पनगजमाम,पिररी,टेड़ा, डब्लू,डरुआ,सत्तोला, रिन्कू, बिट्टू,धुर्रा,जीतो,पप्पू,कोमल,
डंगिया,लुक्का,टल्ली😁,बल्ली,सुआ     खिट्टी,चीनी,😂😂😂😂 और भी जाने कितने नाम मेरे दिमाग में आते चले गए लड़कियों के भी नाम दिमाग में आये उनकी झेंझी फोड़ने के चक्कर में चौराहे पे हमारा टिड्डी दल कैसे जुगाड़ लगता था,
(टेसू ने दई कबड्डी झेंझी की फट गई चड्डी)हमारा उस दौर का राष्ट्रीय गीत हुआ करता था।(ओह्ह तेरे चिकने चिकने गाल देदे री मोय चुम्मा री चुम्मा री)।सामूहिक गान हुआ करता था।छोरी विचारी नाच कूद के घर आजातीं थी और हमारा दल जूते सपाट खेतों में अपना अपना मैदान बनालेते थे।सब अपने आप को दिल्ली के सुल्तान समझते थे।युद्ध के मैदान जैसा दृश्य, कोई सांगा कोई बाबर, कोई प्रताप,हल्दी घाटी,खानवा,मेवाड़,ब्रज,सब जैसे एक साथ सामने आगये हो बड़ा मनोरम और बिहंगम दृश्य बन जाता।थक कर चूर हो जाते फिर भी हार से परिचय नही हो पाता और कबड्डी छिड़ जाती टीम बन जाती सुबह तक बस यही। ओहो मित्रो महसूस करो कितनी खुशी मिलेगी तुम्हें ।आज पटाखे तो वहुत चले पर कुछ देर ही।मैंने खेतो की तरफ जाके देखा सब सूने आज वह सब नही बचा है रे ।रिंकू भाई याद है आज के दिन हम कुछ आवाजों का पीछा करते करते कितनी दूर निकल गए थे।अब वह सब नही है रे।या तो दूध में दम नही रही या सब इतना दूषित हो गया कि कोई एक दूसरे से मिलना तक पसन्द नही कर रहा ।एकाकी जीवन जीने में लगे है ।या तकनीकी ने तुम्हे पंगु कर दिया है।मोबाइल, लेपटॉप,टीवी,फेसबुक,व्हाट्सएप, बस इसी में दुनियां सिमट गई है।तरक्की और आधुनिकता ने जीवन का रस छीन लिया।युवा ###meetoo### के गोल बना रे है ।बच्चे ####c2###आधा देश sc/st आधा मूलनिवासी तो कुछ ##nota####में बटे पड़े है।धर्म संस्कृति के आधार पर तो पहले से ही बटे हुए थे अब नए वर्ग और पैदा हो गए।स्त्री को पुरुष से अलग कर दिया।स्त्री को पुरुष की जरूरत नही पुरुष को स्त्री की वाह रे ये विनास है या विकास पता नही ।मेरी बातों से किसी को दुख हुआ हो तो माफी चाहता हूं ये मेरे व्यक्तिगत विचार है।आप सभी के जीवन में शरद पूर्णिमा अमृत वर्षा करती रहे ।जय भारत जय राजस्थान।

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