ए खुदा मैं भीगा हूं डिगा नहीं हूं यह अपना यह तेवर कहीं भी दिखा सहन करने की शक्ति खत्म हो गई है यह बारिश की बूंदे इतनी ही बरसा जितनी तुझे और मुझे जरूरत है उतनी मेरे घर के सारे बर्तन खत्म होगए इतना यह मेरा छप्पर टपकने लगा या तो तू मेरी भावना में बह जा या तो पानी इतना बरसा कि मैं बन जाऊं Gudvin.barche@g