काम ऐसा करो जिसमें हमको होश हो। मान खुद की गलती चाहे किसी का दोष हो।। चलते जा तू मंजिल चाहे मीलों कोश हो। मत करना अभिमान चाहे जितना जोश हो।। छिपाना अपनी पलकों में जैसे कोई ओश हो। मुसीबत हो कितनी भी हमें सदैव संतोष हो।। s.k.joshi शिवम् गुप्त Pari aggarwal