मैं अब कसमें झूटी खाने लगा हूँ तुम्हारे रंग हो अपनाने लगा हूँ जिससे भी मिलता हूँ गले लगता हूँ बेवफ़ाई की रस्में निभाने लगा हूँ मैंने भी बना ली है एक सहेली ख़ास उसको सारी बातें बतलाने लगा हूँ एक लड़की कर बैठी है इश्क़ मुझसे उसे छोड़ने की तैयारी में लगा हूँ मगर इस दिल का क्या करूँ मानता नहीं अब इसको भी बुरा बनाने में लगा हूँ ©Kamal Kant #walkalone #Shayari #Shayar #gazal #Feeling #thought #alone sad poetry