Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं किस तरंह भूलूं तेरे अफ़साने को? दर्द बेशुमार ह

 मैं किस तरंह भूलूं तेरे अफ़साने को?
दर्द बेशुमार हैं मुझको तड़पाने को।
धड़कनों में दौड़ती है यादों की चुभन-
अश्क़ बेक़रार हैं पलकों में आने को।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
 मैं किस तरंह भूलूं तेरे अफ़साने को?
दर्द बेशुमार हैं मुझको तड़पाने को।
धड़कनों में दौड़ती है यादों की चुभन-
अश्क़ बेक़रार हैं पलकों में आने को।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय