मैं क्यों सोचू नकारात्मक आया हूं इस दुनिया में कुछ करके मैं दिखलाऊंगा ना जाने यह सोच मेरी क्यों नकारात्मक बन जाती है। प्यारी सी है न्यारी सी है सोच बदल दिखलाऊंगा में क्यों सोचू नकारात्मक जब मैं कुछ करके में दिखलाऊंगा। ना मैं हिम्मत हरुगा ना मैं चिल्लाऊंगा जब पूरी है सोच सकारात्मक तो क्यों ना मैं बिगुल बजाऊंगा। मैं क्यों सोचू नकारात्मक जब कुछ करके मैं दिखाऊंगा।