#सुनिएगा कुछ गुफ्तगू अपने साथ करना चाहती हूं मैं हां अब एक मुलाकात खुद के साथ करना चाहती हूं मैं जीतना ,भागना ,हारना, दौड़ना यह सब तो करती आई हूं मैं थम के कुछ देर के लिए ही सही वक्त को मुट्ठी में कैद कर खुद के साथ कुछ वक्त बिताना चाहती हूं मैं..... दर्द को कुछ इस तरह संभाला है जहां रोना था, मुझे वहां पर भी मुस्कुराया है नदियों सा अविरल बहना था मुझे सागर सा खुद में ठहराव पाया है लेकिन.. कुछ गिले-शिकवे जो ना कर पाई मैं कभी उन सब का हिसाब खुद से करना चाहती हूं मैं बस अब खुद से खुद के लिए खुद से लड़ना चाहती हूं मैं $neha #सुनिएगा#sneha