चारसूं फैला है जो वो घना जुर्म का अंधियारा है अब समझ से भी परे है कौन गैर कौन हमारा है दोस्त अपना हैं समझते जिनपर जां निसार करते कल को हो मालूम वही आस्तीन का सांप निकले समेट तेरे आगोश में माँ इक वही जगह महफ़ूज लगे बाकि तो हर मोड़ पर महज ही मिल जाए इक हत्यारा है आबरू न हो नीलाम स्त्री की इस पर तो दुनिया ज्ञान दे कपड़े हो पूरे बदन पर इस बात पर भी बहुत ध्यान दे उस पर न कोई उंगली उठाए न ही कोई ज्ञान बताए वो जिसकी नज़रों में हवस भरी है हवसी है आवारा है राजनीति से डर लगता है क्योंकि लाशों पर ये चलती है पल में हिन्दू, पल में मुस्लिम ये कितने रूप बदलती है भय लगता है अब तो चर्चा भी सत्य-असत्य पर करने से पता नहीं कौन चमचा निकले, किसको भक्त हो जाना प्यारा है #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #राजनीति #जुर्म #नोजोटो #nojoto #nojotohindi #कटुसत्य