कोरा काग़ज़ Premium Challange-21 विषय 3 :- ज़माने की फ़िक्र (लघुकथा) ***************************** ना ज़माने की फ़िक्र है ना किसी बात का ग़म। मस्तमौला इस ज़िंदगी में काफी खुश हैं हम। लोगों की सोच में तो है आज भी एक भरम। क्यूँ इतनी ख़ुशमिज़ाजी से अब जी रहे हैं हम। कैसे बताए उनको अब, ये है ख़ुदा का करम। तक़दीर की बदौलत, हर ऊँचाई छूते हैं हम। तालीम में हमको, है इतनी ही शराफ़त मिली। भुलाकर लोगों की खामियाँ, मुस्कुराते हैं हम। चाहत होती है सबकी, यहाँ सोहरत पाने की। रोज अपनी बुलंदियाँ, अब तय करते हैं हम। कोरा काग़ज़ Premium Challange-21 विषय 3 :- ज़माने की फ़िक्र (लघुकथा) ना ज़माने की फ़िक्र है ना किसी बात का ग़म। मस्तमौला इस ज़िंदगी में काफी खुश हैं हम। लोगों की सोच में तो है आज भी एक भरम। क्यूँ इतनी ख़ुशमिज़ाजी से अब जी रहे हैं हम।