समय, एक नदी, सदैव बहती रहती है, पहली सांस से आखिरी सांस तक। एक नवजात शिशु की किलकारी, एक माँ का स्पर्श, अनंत यादें, हम पकड़ते हैं, लेकिन समय, अथक, चलता रहता है, जैसे कोई कोरस दूर का गीत गा रहा हो। हर सूर्योदय के साथ एक दिन का जन्म होता है, हर सूर्यास्त के साथ, एक उदास रात, फिर भी अतीत, हवा में फुसफुसाहट की तरह रहता है। रेत के कण जैसी यादें, खोए हुए पल, बारिश में बूंदों की तरह, फिर कभी नहीं मिलते। युग बदलते टीलों की तरह बीत जाते हैं, फिर भी समय स्थिर खड़ा है, हम इसके उतार-चढ़ाव में बने रहते हैं। ©Shamina #samayekiraftaar