('दस साल' छोटा समय नहीं होता!इतना बड़ा भी नहीं कि लगे जिंदगी ख़त्म! प्रवीण और नेहा के लिए दस साल की जुदाई समय को एक जगह पर ही रोके रही...) प्रवीण--नेहा तुम! बहुत बदल गयी हो! पहचानी ही नहीं जाती! (मुस्कुराते हुए प्रवीण ने कहा)! नेहा--(थोड़ा सकुचाते हुए) हाँ,तुम भी तो बदल गये हो! मूँछें रखने लगे हो! (हँसकर) प्रवीण--हाँ,बहुत बदल गया हूँ तब से अब तक..(नेहा की आँखों में झांकते हुए) नेहा--(बात को बदलते हुए) अच्छा! घर में सब कैसे हैं? पत्नी, बच्चे कैसे हैं? प्रवीण--(नेहा को एकटक देखते हुए) मैंने शादी नहीं की! माता-पिता से अलग रहता हूँ! तुम बताओ,तुम्हारे पति क्या करते हैं? नेहा--मैं माता-पिता के साथ रहती हूँ!उनके सिवाय मेरा कोई नहीं!(प्रवीण के चेहरे को जैसे पढ़ते हुए)..! (एक अजीब-सी ख़ामोशी पसर गयी प्रवीण और नेहा के बीच...जिसमें शोर भी था और ऑंसुओं की टप-टप भी) 🌹 M'निर्झरा' दस साल बाद मिलना होता है - दो लोगों का। ये दो लोग दो दोस्त हो सकते हैं, पिता-पुत्र हो सकते हैं, दो सहेलियाँ हो सकती हैं, दो प्रेमी हो सकते हैं अथवा पड़ोसी या कोई भी - आप जिस रूप में यह दो पात्र गढ़ना चाहें। #yostowrimo में आज इसी मुलाक़ात का क़िस्सा लिखें। #दससालबादकहानी #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi