शीर्षक: [आज अगर मैं धरती होता]
लेखक: प्रभाकर प्रजापति
लाखों जीवन देकर भी मैं, जीता जाता अर्थी होता
बे परवाज तड़फता रहता...आज अगर मैं धरती होता
1) जब नदियां, झील समंदर के...कल-कल में कलरव भर देता,
बाग बगीचे उपवन सारे...हर रंगों से रंग देता!!! #IndiaFightsCorona