a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ख़ुद को बोल देता हूं (शायरी) राज ए दिल मोहब्बत या गिला सब बोल देता हूं कोई कैसा भी हो दूजा यूं अपना बोल देता हूं कुछ रूठ जाते हैं फकत नासमझी वकालत से जुबां खामोश भी गर हो नज़र से बोल देता हूं साज ए हुस्न की सुंदरता भी कोई बात होती है बातें बिन बात हो जो बात वहां मैं बोल देता हूं गुमान ए रंग की दहलीज पर चौखट किनारे था रंगत प्रेम की गर हो तो सब कुछ बोल देता हूं ना रूठता ज्यादा ना उम्मीदें किसी से है कोई कहता कि कैसे हो तो अच्छा बोल देता हूं। इनायत ना किसी की है नफ़रत के ज़माने में शिकायत खुद से ही करना खुद को बोल देता हूं Aakash dwivedi ✍️ 15/01/2025 ©Aakash Dwivedi #SunSet #शायरी #कविता #Like #Love #Poetry #AakashDwivedi #motivation# #Shayari