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कम अपने मुकद्दर का अंधेरा नहीं होता सूरज तो निकलता

कम अपने मुकद्दर का अंधेरा नहीं होता
सूरज तो निकलता है सवेरा नहीं होता
उस पेड़ के साये में सुकून किसको मिलेगा
जिस पेड़ पे चिड़ियों का बसेरा नहीं होता

–साक़ी अमरोही

©Anant Nag Chandan कम अपने मुकद्दर का अंधेरा नहीं होता
सूरज तो निकलता है सवेरा नहीं होता
उस पेड़ के साये में सुकून किसको मिलेगा
जिस पेड़ पे चिड़ियों का बसेरा नहीं होता

–साक़ी अमरोही
कम अपने मुकद्दर का अंधेरा नहीं होता
सूरज तो निकलता है सवेरा नहीं होता
उस पेड़ के साये में सुकून किसको मिलेगा
जिस पेड़ पे चिड़ियों का बसेरा नहीं होता

–साक़ी अमरोही

©Anant Nag Chandan कम अपने मुकद्दर का अंधेरा नहीं होता
सूरज तो निकलता है सवेरा नहीं होता
उस पेड़ के साये में सुकून किसको मिलेगा
जिस पेड़ पे चिड़ियों का बसेरा नहीं होता

–साक़ी अमरोही

कम अपने मुकद्दर का अंधेरा नहीं होता सूरज तो निकलता है सवेरा नहीं होता उस पेड़ के साये में सुकून किसको मिलेगा जिस पेड़ पे चिड़ियों का बसेरा नहीं होता –साक़ी अमरोही #Shayari