मुल्क़ फिर बीमार है क्या करें बढ़ती जाती क़तार है क्या करें मौत देखें या क़त्ल की बात करें अब क़ातिल भी लाचार है क्या करें मिले तो ले आएं तबीयत कहीं से बंद फिर सारे बाज़ार है क्या करें सबक़ जो सीखा था सब भूल गए नसीब में फिर इंतेज़ार है क्या करें वापिस आया है वो पहले से बता के लंबे टिकने के आसार हैं क्या करें धीर से पूछो तो बस सांसें खरीदो ज़िंदगी भी तो कारोबार है क्या करें कारोबार