तुम कली सी नाजुक हो मुस्कान तुम्हारी फुल से भी प्यारी रंग तुम्हारी पहचान नहीं रूप से बस असर छोड़ जाती हो अश्कों में उतर जाती हो दिल में धड़कती हो रुह हो जैसे तुम मासूम हो रहम तुम्हें पसंद नहीं शायद हर एक से कुर्बानी चाहती हो तुम दर्द की नज्म हो खुशी का अफसाना और राहत की पुरी किताब ना तुम्हारी कोई उम्र है ना हया और शरम की दिवारे तुम पाक हो तुम पवित्र हो एक ऐसा नशा जो चढता है चढते ही जाने के लिए ए उतर जाए ऐसा हो नहीं सकता ए मोहब्बत तु कभी ढल नहीं सकता ©SUREKHA THORAT #Ashwiniedited🙂 #OneSeason