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जाहिर भी न हो सके मजबूरियां रही होंगी नासूर हुए ज

जाहिर भी न हो सके 
मजबूरियां रही होंगी
नासूर हुए जाते हैं दर्द
उनकी नीयतों में ही नासूर
जाहिर भी न हो सके 
मजबूरियां रही होंगी
नासूर हुए जाते हैं दर्द
उनकी नीयतों में ही नासूर