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आंधेरा में निकल पड़ा हूँ बस उम्मीद की रशनी लेकर।

आंधेरा में निकल पड़ा हूँ 
बस उम्मीद की रशनी लेकर। 
क्या कभी सुरज की किरण
चमक उठेगी मेरी जिंदगी पर।
खुली आँखों में झलक रहा है
 खुशी अर गम। 
चलती राहों पर मेरी आंखें 
हो गयी है नम।।

©Rimil Murmu
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