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सांसों की डोर टूटने ही वाली थी कि प्रभु नाम का सहा

सांसों की डोर टूटने ही वाली थी कि
प्रभु नाम का सहारा मिल गया।
डूब चला था जीवन निराशाओं के समंदर में,
असीम विश्वास का किनारा मिल गया।
दुनिया की नजरों से खुद को परखते रहे उमर भर,
आंखे बंद कर आत्म साक्षात्कार किया तो सत्य ज्ञान सारा मिल गया।

©Vasudha Uttam
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