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तुझसे मोहब्बत है क्यों तू जानता नही। मोहब्बत मेरी

तुझसे मोहब्बत है क्यों तू जानता नही।
मोहब्बत मेरी पाक है यकीन क्यों तू मानता नही।।
यू तो ज़माना लेता है हमारी नेक-दिली की कसमे,
बस तू ही खामोश है शायद तू मेरी सच्ची मोहब्बत पहचानता नही।।

निसार मलिक
तुझसे मोहब्बत है क्यों तू जानता नही।
मोहब्बत मेरी पाक है यकीन क्यों तू मानता नही।।
यू तो ज़माना लेता है हमारी नेक-दिली की कसमे,
बस तू ही खामोश है शायद तू मेरी सच्ची मोहब्बत पहचानता नही।।

निसार मलिक