Nojoto: Largest Storytelling Platform

अक़्सर ही इन आँखों को कुछ ख़्वाब घेर लेते है, आँख लग

अक़्सर ही इन आँखों को कुछ ख़्वाब घेर लेते है,
आँख लगती नहीं की मुझें, तेरे ख़याल घेर लेते है,

तू एक हसीन दिलचस्प सा, सपना मेरा जो ठहरा,
तुझे लिखती हुँ तो मुझें, ये मेरे किताब घेर लेते है,

तुझे चाँद, तारे नहीं कहूंगी मैं, तू शांत शमा है मेरा,
तू हरदम रोशन करता है, जब ये अंधेरे घेर लेते है,

तेरी तुलना में शायद कोई शब्द नहीं बने मेरी जान,
जब कभी अकेली पड़ती हुँ, तो ये तेरे याद, घेर लेते है..!!
- Vishakha Tripathu #vishakhatriapthi
अक़्सर ही इन आँखों को कुछ ख़्वाब घेर लेते है,
आँख लगती नहीं की मुझें, तेरे ख़याल घेर लेते है,

तू एक हसीन दिलचस्प सा, सपना मेरा जो ठहरा,
तुझे लिखती हुँ तो मुझें, ये मेरे किताब घेर लेते है,

तुझे चाँद, तारे नहीं कहूंगी मैं, तू शांत शमा है मेरा,
तू हरदम रोशन करता है, जब ये अंधेरे घेर लेते है,

तेरी तुलना में शायद कोई शब्द नहीं बने मेरी जान,
जब कभी अकेली पड़ती हुँ, तो ये तेरे याद, घेर लेते है..!!
- Vishakha Tripathu #vishakhatriapthi