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'कन्हैया' तुम्हें एक नजर देखना है।

'कन्हैया' तुम्हें एक नजर देखना है।
                                                       जिधर तुम छिपे हो उधर देखना है।।
           अगर तुम हो दीनों की आहों के आशिक।
                                                           तो आहों का अपनी असर देखना है ।।

                                 'कन्हैया' तुम्हें एक नजर देखना है ।।

       उबारा था जिस हाथ ने गीध-गज को।
                                                         उसी हाथ का अब हुनर देखना है ।।
       विदुर भीलनी के जो घर तुमने देंखे ।
                                                             तो हमको तुम्हारा भी घर देखना है ।।

                                   ''कन्हैया'' तुम्हें एक नजर देखना है कन्हैया ........
'कन्हैया' तुम्हें एक नजर देखना है।
                                                       जिधर तुम छिपे हो उधर देखना है।।
           अगर तुम हो दीनों की आहों के आशिक।
                                                           तो आहों का अपनी असर देखना है ।।

                                 'कन्हैया' तुम्हें एक नजर देखना है ।।

       उबारा था जिस हाथ ने गीध-गज को।
                                                         उसी हाथ का अब हुनर देखना है ।।
       विदुर भीलनी के जो घर तुमने देंखे ।
                                                             तो हमको तुम्हारा भी घर देखना है ।।

                                   ''कन्हैया'' तुम्हें एक नजर देखना है कन्हैया ........

कन्हैया ........ #कविता