मैं खुद को संभाल लेती हूं गिरती हू, संभलती हूं, चलती हूं मैं खुद को कभी हारने नहीं देती हूं सन्नाटा जितना होता है मुझमें उतना खुश हो लेती हूं मैं खुद को टूटने नहीं देती हूं विश्वास सब पर कर लेती हूं कोई दिल दुखाए उससे थोड़ा फासला कर लेती हूं मन जब बेचैन होता है मेरी एक नहीं सुनता है खुद से ही दूरी कर लेती हूं जीवन में कितने भी उतार चढ़ाव आए चारों ओर अँधियारा छाया जाए मैं खुद को हर बार संभाल लेती हूं जिन्दगी