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शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में हर पहर कुछ यूं बिताता

शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में हर पहर कुछ यूं बिताता रहा
यादें तेरी मुझको डुबोती रही,मैं खुद को तैरना सिखाता रहा।

शब-ए-इंतिज़ार = the night of awaiting.

©Amar Deep Singh
  #awaiting #for  #you