कितना अजीब है ना कि हमें अपना जज्बात लिखने के लिए शब्द ही नहीं मिलते लेकिन दूसरों पर पुरी खिताब लिख सकते है.... इससे भी ज्यादा अजीब यह हैं कि हम जो खिताब उन पर लिखते है, समय के साथ साथ उस खिताब में हमारी लिखावट बदलती रहती है, अगर वो सब कुछ हमारे मन मुताबिक कर रहा है तो हमारी लिखावट सुन्दर हो जाती है अगर नहीं तो हमारी लिखावट खराब हो जाती हैं। उसका नाम तो एक बहाना है असल में हम यह खिताब उस पर कम बल्कि अपनी सहुलियतो पर ज्यादा लिख रहें होते है, माना कि किताब की हर कहानी में केवल उसका ही जिक्र होता है लेकिन वास्तव में हर कहानी केवल और केवल हमारी सहुलियत से जुड़ी होती हैं..... ©Mr Dev 47 Journey of life