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माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाए, जिसको निगहों में बिठा

माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाए,
जिसको निगहों में बिठाया जाए,
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसे कि,
वो अगर उदास हो तो हमसे श्री मुस्कुराया ना जाऐ।

किसी भी मुस्किल का अब,
किसी को हल नहीं निकलता ,
शायद अब घर से कोई,
माँ के पैर छुकर नहीं निकलता

©Kshatriya Kuldeep Singh जिंदगी की पहली Teacher माँ,
zindagi की पहली Friend माँ ,
जिंदगी भी माँ क्योंकि,
zindagi देने वाली भी माँ
माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाए,
जिसको निगहों में बिठाया जाए,
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसे कि,
वो अगर उदास हो तो हमसे श्री मुस्कुराया ना जाऐ।

किसी भी मुस्किल का अब,
किसी को हल नहीं निकलता ,
शायद अब घर से कोई,
माँ के पैर छुकर नहीं निकलता

©Kshatriya Kuldeep Singh जिंदगी की पहली Teacher माँ,
zindagi की पहली Friend माँ ,
जिंदगी भी माँ क्योंकि,
zindagi देने वाली भी माँ