अपनी ला इल्मी से तो लड़ नहीं सकता..! ऐसा जाहिल भला जिहाद क्या करेगा..!! जिसके मां बाप खुद उससे बदज़न हों..! वो अपने पड़ोसी का मफाद क्या करेगा..!! खुद कट रहा हो जो ब्याज की तेज़ बरछी से..! वो मुफलिस किसी और से फसाद क्या करेगा..!! लाखों कमा के भी जो मुतमईन नहीं कमाई से..! ऐसा बखील खैरात-ओ-जक़ात क्या करेगा..!! ज़कात दबा गए हो तो कहत की मार भी झेलो..! मजलूमों के अश्क बहे तो वो बरसात क्या करेगा..!! पहले खुद नहीं पिया, बिन पानी के जां दे दी...! ये तारीख भुला के कोई इकराम की बात क्या करेगा..! ©Abd #Muflis #Life