नानक जी को कबीर साहेब जिंदा महात्मा के वेश में आकर मिले थे।
उन्हें सचखंड यानी सत्यलोक के दर्शन कराए थे उन्होंने कबीर साहेब की महिमा गाते हुए कहा है
गुरु ग्रन्थ साहिब
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।
परमात्मा कबीर साहेब ही नरसिंह रूप धर कर आए थे'