क्या फ़रक पड़ता है "करवा चौथ" का है क्या मुहूरत मैंने तुमको देख लिया अब "चाँद" की है क्या जरूरत 'आसमाँ' में, 'बादलों' ने.."चाँद" को ढककर रखा है अब तो "व्रत" तोड़ेंगे हम भी देखकर के "तेरी सूरत" --प्रशान्त मिश्रा "करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं"