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White कछुए और खरगोश की कहानी बहुत समय पहले की बा

White  कछुए और खरगोश की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक तेज़ दौड़ने वाला खरगोश और एक धीमी गति वाला कछुआ रहते थे। खरगोश को अपनी तेज़ी पर बहुत घमंड था और वह अकसर कछुए का मज़ाक उड़ाया करता था।

एक दिन, खरगोश ने कछुए को चिढ़ाते हुए कहा, "तुम जैसे धीमे जीव के लिए तो चलना भी मुश्किल है। दौड़ने की बात तो दूर है!"
कछुआ शांत स्वभाव का था, लेकिन उसने जवाब दिया, "तो क्यों न हम एक दौड़ लगा लें और देख लें कौन जीतता है।"

खरगोश यह सुनकर हंस पड़ा और तुरंत तैयार हो गया। उसने सोचा कि यह तो मज़ेदार होगा। दौड़ का दिन तय हुआ। जंगल के सभी जानवर दर्शक बनने आए।

दौड़ शुरू हुई। खरगोश हवा की तरह दौड़ा और कुछ ही समय में कछुए से बहुत आगे निकल गया। उसने पीछे मुड़कर देखा और कछुए को काफी दूर पाया। उसने सोचा, "कछुआ तो अभी काफी पीछे है। क्यों न मैं थोड़ा आराम कर लूं?"

खरगोश एक पेड़ के नीचे लेट गया और गहरी नींद में सो गया। दूसरी ओर, कछुआ धीमे-धीमे लेकिन लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहा।

जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ लगभग फिनिश लाइन के पास पहुंच चुका था। खरगोश ने तेजी से दौड़ने की कोशिश की, लेकिन तब तक कछुआ फिनिश लाइन पार कर चुका था।

सभी जानवर कछुए की जीत पर तालियां बजाने लगे। खरगोश को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने कछुए से माफी मांगी।

कहानी की सीख: "धीरे और स्थिर चलने वाले ही अंत में जीतते हैं।"

©Anish Boy #sad_status_shayari 
#New story #anishkumar
White  कछुए और खरगोश की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक तेज़ दौड़ने वाला खरगोश और एक धीमी गति वाला कछुआ रहते थे। खरगोश को अपनी तेज़ी पर बहुत घमंड था और वह अकसर कछुए का मज़ाक उड़ाया करता था।

एक दिन, खरगोश ने कछुए को चिढ़ाते हुए कहा, "तुम जैसे धीमे जीव के लिए तो चलना भी मुश्किल है। दौड़ने की बात तो दूर है!"
कछुआ शांत स्वभाव का था, लेकिन उसने जवाब दिया, "तो क्यों न हम एक दौड़ लगा लें और देख लें कौन जीतता है।"

खरगोश यह सुनकर हंस पड़ा और तुरंत तैयार हो गया। उसने सोचा कि यह तो मज़ेदार होगा। दौड़ का दिन तय हुआ। जंगल के सभी जानवर दर्शक बनने आए।

दौड़ शुरू हुई। खरगोश हवा की तरह दौड़ा और कुछ ही समय में कछुए से बहुत आगे निकल गया। उसने पीछे मुड़कर देखा और कछुए को काफी दूर पाया। उसने सोचा, "कछुआ तो अभी काफी पीछे है। क्यों न मैं थोड़ा आराम कर लूं?"

खरगोश एक पेड़ के नीचे लेट गया और गहरी नींद में सो गया। दूसरी ओर, कछुआ धीमे-धीमे लेकिन लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहा।

जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ लगभग फिनिश लाइन के पास पहुंच चुका था। खरगोश ने तेजी से दौड़ने की कोशिश की, लेकिन तब तक कछुआ फिनिश लाइन पार कर चुका था।

सभी जानवर कछुए की जीत पर तालियां बजाने लगे। खरगोश को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने कछुए से माफी मांगी।

कहानी की सीख: "धीरे और स्थिर चलने वाले ही अंत में जीतते हैं।"

©Anish Boy #sad_status_shayari 
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