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सिमट जाती है जो रेती वहीँ चट्टान बनती है। श्रद्धा

सिमट जाती है जो रेती वहीँ चट्टान बनती है।
श्रद्धा भक्ति की ही लौट के वरदान बनती है। 
भले वृक्ष छोड़ के विश्वास का कान्हा चला जाए ।


"लेकिन लगन की राधिका बनकर स्वयंम भगवान बनतीं है।"

सिमट जाती है जो रेती वहीँ चट्टान बनती है। श्रद्धा भक्ति की ही लौट के वरदान बनती है। भले वृक्ष छोड़ के विश्वास का कान्हा चला जाए । "लेकिन लगन की राधिका बनकर स्वयंम भगवान बनतीं है।" #Poetry #please_also_comment_so_that_I_can_improve_my_thought_process

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