पलट आ ओ मुसाफ़िर.. तू चल पड़ा है जिस राह पे वो राह तेरी नहीं वो मज़िल तेरी नहीं देखे तेरे अपने राह तेरी तेरी गलियां यही है तेरी मंज़िल यही है.. पलट आ ओ मुसाफ़िर.. न दें यूँ ख़ुद को तू सज़ा, कि वो रास्ता एक सज़ा है न खो ख़ुद को उस राह में जो तेरा है नहीं.. जहां होने का तू पराया है तेरी मज़िल वो नहीं पलट आ ओ मुसाफ़िर.. #सुचिता पलट जाना भी होता है मुसाफ़िर को हमेशा रास्ता मंज़िल पे ले ही जाए ज़रूरी तो नहीं होता। #पलटआ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #suchitapandey पलट आ ओ मुसाफ़िर.. तू चल पड़ा है जिस राह पे वो राह तेरी नहीं