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चाँदनी रातों में, साये से अंधेरे, छुप जाते हैं हम

चाँदनी रातों में, साये से अंधेरे,
 छुप जाते हैं हम, अपने ही ख्यालों में।

 कहानियों के राज में, भूतों का साया,
 दिल में है डर, भरी हुई हर घड़ी।

 पर एक रात आई, सितारे चमकने लगे,
 साया नहीं, साथ चला, नये सपनों की राहों में।

 डर को छोड़, साथ में है असली रौनक,
 साये से भी गहरा है, हमारा खुद का अँधेरा।

©Ruby Jha ‘बृजबाला ’
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