दुर्गा चौक की रौनक हर वर्ष एक नया उत्साह, एक नई उमंग, वह हर सुबह उठकर बस्ती में, गायों का चारा खाना, ढलती शाम तक, लोगों का आना जाना, त्योहारों की रौनक, वह मिलकर सबका बस्ती सजाना, वह गणतंत्र दिवस की झांकी, और सम्मान से तिरंगा लहराना, वह होली का त्योहार, मिलकर सबको गुलाल लगाना, वह नवरात्रि का त्योहार, मां दुर्गा की मूरत सजाना, वह हर बार की तरह, मां को लाल चुनरी उड़ाना, वह 9 दिन की रौनक, सबके मन में उत्साह भर जाना, वह आर्केस्ट्रा की शाम, मां के जगराते में जागना, वह भक्ति गीतों की ध्वनि, और चौक में गरबा होना, वह दशहरे का भंडारा, और मां की अद्भुत झांकी सजाना, वह पटाखों का शोर, आतिशबाजी से सब को लुभाना, वह रावण दहन कर, मानवता का पाठ पढ़ाना, वह मिलकर बस्ती में दिवाली मनाना, हर आंगन को रंगोली से सजाना, वह बस्ती का अंकुट, मिल कर सबका प्रसाद खाना, इसी तरह खुशहाल हर साल बिताना रागिनी अग्रवाल(raag@) दुर्गा चौक घोड़ाडोंगरी ।। durga Chowk ki ronak