पता ही नही चला कब कैसे वक़्त ये गुजर गया चौथे साल में आते आते किसी का साथ मिला तो किसी का साथ छूट गया लेकर आये थे जो बक्सा खाली सा कॉलेज की यादों से आज भर गया । अजनबी ही अजनबी थे जब मिले थे पहली बार इन्ही अजनबियों से रिश्ता दिल का जुड गया याद रहेगा वो काउसिलिंग के दिन हमारे चेहरों का रंग वो एनाटोमी लैब में जब हम थे cadaver के संग सीनियर्स से डरते थे और सीखते भी थे थोड़ा सा गुस्सा आँखों में जब हम रखते भी थे बड़े भाई सा संभाला हमको ,गिरे जब भी उठाया हमको है संस्कृत के श्लोकों से अपना पहला नाता जब मॉडर्न के अलावा आयुर्वेद नही था समझ रत्ती भर भी आता वो सेकंड ईयर में द्रव्यगुण और रस की माया जिससे काँपती थी रूह डर गयी थी काया वो जूनियर्स की फ्रेशर और गुड मॉर्निंग बॉस सुनना वो क्लास में अंतर्द्वंद और अपने में लड़ना वो गुजरात ट्रिप जो मंदिर दर्शन से था भरपूर बस की मस्ती और सफ़र में हो गए हम आनंद में मशगूल चरक के 66 चैप्टर्स से मन था घबराया अगद का विष भी कुछ खास समझ में न आया थर्ड ईयर में माता और बच्चे ने हमको सताया रोग निदान और स्वस्थ वृत्त हमने फिर अपनाया फोर्थ ईयर में पड़ा हम पर शालक्य और शल्य तंत्र का साया काय चिकित्सा और पंचकर्म की समझ आयी फिर माया गार्ड से हमारा सिर था चकराया ,कैंटीन में बस चाय का था सहारा यारों का कारवां साथ चलता रहे , यादों का काफिला यूंही आबाद रहे । #yqtales #yqbaba #college #bams #medico #tpmd #yqdidi