यूं तो पूजा जाता है मुझे साल के कई महीनों ,दिनों में देवी बनकर प्रतिमा रख दी जाती हैं घरों में ,लक्ष्मी और सीता का रूप भी मै हूं ये बताया भी जाता है हमें सीता जैसा चरित्रवान बनने का उदाहरण भी दिया जाता हैं हम ,कितनी दोहरी मानसिकता हैं ना लोगो की इस कलयुग में भी वही त्रेतायुग वाली सीता को देवी स्वरूप पूजा जाता हैं। ©Sita Negi दोहरी मानसिकता वाला समाज