मेरे भी कई ख्वाब थे जो दब कर रह गए ग़रीबी की बोझों में कभी मिल ही नहीं पाए उन दिनों से जो कटने लिखे थे मोजो में वक़्त उम्मीदों को काटता रहा सपनों को झोली से झाटता रहा दर्द से अब लगती यारी पुरानी है नसीब में लिखी है यही जो बेगैरत से जिंदगानी है #antichildlabourday #children #India