तिरंगा ओड लोगे तुम कहोगे एक है हम सब सफल गणराज्य के अल्हड तराने गुनगुनाओगे मग़र जब देशभक्ति का नशा हो जाएगा हल्का बिखरकर जातियों में तुम असल चेहरा दिखाओगे तुम्हें भड़कायेगा आकर तुम्हारे धर्म का आंका पालकर बैर मन में तुम पड़ोसी को जलाओगे रोक दो साज़िशें सारी देश को बाँटने की तुम रुलाकर भाई को अपने तुम कैसे मुस्कराओगे ये भारत जितना मेरा है उतना ही तुम्हारा भी ये धंधा नफ़रतो का तुम कहो कब तक चलाओगे सुनो भारत की मिट्टी पर सभी का हक़ बराबर है किसी भी एक आँगन में इसे ना बांध पाओगे ~ प्रणव पाराशर गणतंत्र दिवस...