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हैजानी इक कसक सी, उठती है दिल में अपने बे कैफ और ख

हैजानी इक कसक सी,
उठती है दिल में अपने
बे कैफ और खलिश सी, 
रहती है दिल में अपने।
हर दिन तड़प-तड़प कर, 
रातैं सिसक-सिसक कर,
ऐ!मेरे दिल के रहबर!, मुश्किल से हैं गुज़रती

©Saad Balrampuri dudaee ka maza, Urdu hindi

#candle  tabarej Pawan Pandey Anshu writer  Neha Tiwari Dhyaan mira
हैजानी इक कसक सी,
उठती है दिल में अपने
बे कैफ और खलिश सी, 
रहती है दिल में अपने।
हर दिन तड़प-तड़प कर, 
रातैं सिसक-सिसक कर,
ऐ!मेरे दिल के रहबर!, मुश्किल से हैं गुज़रती

©Saad Balrampuri dudaee ka maza, Urdu hindi

#candle  tabarej Pawan Pandey Anshu writer  Neha Tiwari Dhyaan mira