वो देखो शाम सुहानी आयी, धरती के सूरज से मिलन की बेला आई, आसमान ने ओढी सुनहरी चादर, जल में भी सुनहरी छाई, झुक गया देखो आसमान भी, धरती थोड़ी उपर उठ आई, कमल शरमा के बन्द हुआ चाहते हैं, घर वापस चहचहाती पंछियों की टोली आयी, वो देखो शाम सुहानी आयी।। #अंकित सारस्वत# #शाम सुहानी आयी।।