बरसा बरसा सावन_ फिर भी प्यासा मन। विरह _ वेदना तन को जलाए, कब आयेंगे साजन।। धरती पर हरियाली छाई। झरनों ने आवाज लगाई।। नाचें मयूरा _ कोयल कूके, आवाज मेरी भरमाई।। उपवन सूना_ सूना मेरा आंगन, कब आयेंगे साजन।। © Rajesh vyas kavi सुनो मेरे साजन __ बरस रहा सावन , #सावन #बरसात #विरह #प्यास #शायरी