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एक घुटन सी होती है यहाँ, जीवन बीत रहा है जो तन्हा.

एक घुटन सी होती है यहाँ,
जीवन बीत रहा है जो तन्हा..!

छोड़ गए ख़ुद को ख़ुदा बताने वाले,
मुसीबतों में मरता रहा तन्हा..!

किस पर करें भरोसा,
स्वार्थ पूरा होते ही छोड़ते जो तन्हा..!

मना करते नहीं हम किस मिट्टी के बने हैं,
तने है फिर भी ताव में तन्हा..!

दीवाने बन के दिल के चले थे कभी मिल के,
खिल रहे हैं वो भी अब देखो यूँ तन्हा..!

यहीं तक था सफ़र दो घड़ी का हमसफ़र,
बेघर कर जाता है दिल से निकाल कर तन्हा..!

©SHIVA KANT
  #DarkCity #Ghutan