#OpenPoetry ए मनुष्य तुने आज गज़ब खेल दिखलाया है जिस प्रकृति ने दिया जनम, तुने उसे ही नोच खाया है इन जीवों की खुशीयाली से, तु अपनी भूख मिटिया है हरी-भरी सी दुनिया को, अब शीशों से खूब सजाया है ए मनुष्य तुने आज गज़ब खेल दिखलाया है याद कर वो दिन जब जीवन सुखमय होता था उस हरे-भरे बागिचे मे बचपन गुजारा करता था आज अपनी इस धरती को तु खून के आँसू रूलाया है ए मनुष्य तुने आज गज़ब खेल दिखलाया है संभल जा वरना जब प्रकृति मजबूर हो जाएगी तेरी बनी बनाई दुनिया को तहस-नहस कर जाएगी माँ कहकर भी तुने क्या खूब बेटे का फर्ज निभाया है ए मनुष्य तुने आज गज़ब खेल दिखलाया है #OpenPoetry #saveearth #savelife #florafauna #selfishhumans #life नयनसी परमार Akshita Jangid(poetess) Sambhav jain(महफूज़_जनाब) Internet Jockey तरूण.कोली.विष्ट Nitish Sagar