उम्मीद थी , शायद ये समझेगा मुझे पर हर बार की तरह मेरी जीत हुई कोई नहीं समझ पाया मुझे इसलिए सोंचा बेहतर होगा ख़ुद को ही समझ लूं मैं क्योंकि कोई नहीं समझ पाएगा मुझे क्योंकि कोई नहीं समझ पाएगा मुझे ©Dr. H(s)uman , Homoeopath #chai se baatein