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समय एक अरसे से बंद पड़ी एक किताब हैं, कहीं पर अक्ष

समय एक अरसे से बंद पड़ी एक किताब हैं,
कहीं पर अक्षर धुंधले तो कहीं पर पन्ने खराब हैं।

पाई पाई से जुड़कर खनकते हुए ये सिक्के,
पूछते मुझसे पाई पाई का हिसाब हैं।

मिलो किसी मोड़ पर तो बन जाना अजनबी फिर से,
ये न पूछना कि नजरंदाजी किस प्रश्न का जवाब हैं।

चुप रहना कोई जुर्म कुबूल करना तो नहीं होता,
कभी परदे का ख्याल हैं तो कभी उम्र का लिहाज हैं।

चमकते शीशों में भी देखी हैं कई दरारें मैने,
निशानेबाज की मेहरबानी से उठते पत्थरों पर सवाल हैं।

तुम्हारे हुनर कौन तराशेगा इस भरी महफिल में,
नोट बिखरे तो नाचेंगे सिक्के इरशाद हैं, इरशाद हैं।
                                          #मोनिका वर्मा
                                          04.01.24

©Monika verma
  #ankaha_ehsaas 
#ankahe_alfaaz 
#ankahe_jazbat 
#poetry_by_heart 
#cold_winter
समय एक अरसे से बंद पड़ी एक किताब हैं,
कहीं पर अक्षर धुंधले तो कहीं पर पन्ने खराब हैं।

पाई पाई से जुड़कर खनकते हुए ये सिक्के,
पूछते मुझसे पाई पाई का हिसाब हैं।

मिलो किसी मोड़ पर तो बन जाना अजनबी फिर से,
ये न पूछना कि नजरंदाजी किस प्रश्न का जवाब हैं।

चुप रहना कोई जुर्म कुबूल करना तो नहीं होता,
कभी परदे का ख्याल हैं तो कभी उम्र का लिहाज हैं।

चमकते शीशों में भी देखी हैं कई दरारें मैने,
निशानेबाज की मेहरबानी से उठते पत्थरों पर सवाल हैं।

तुम्हारे हुनर कौन तराशेगा इस भरी महफिल में,
नोट बिखरे तो नाचेंगे सिक्के इरशाद हैं, इरशाद हैं।
                                          #मोनिका वर्मा
                                          04.01.24

©Monika verma
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#ankahe_jazbat 
#poetry_by_heart 
#cold_winter
krishnagopalverm6631

Monika verma

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