किस काम के हैं हम अगर न आंये काम किसी के हम, दिया बिन रोशनी के क्यूँ बने हम, समंदर से नहीं क्यूं सीखते हम, धरा पर क्यूँ खडे हम, अहम में क्यूँ अडे हम, वहम में क्यूँ पडे हम, नही जीवन तिजोरी हाथ की चाबी तेरी, बना ले जिंदगी को पेड सी सुंदर छवी, हमेशा काम आये-नाम आये तू तभी, तेरे जैसा ही बनने को तरसते हों सभी. #काम#hindi#