कुर्सी ने भई कुर्सी ने राजा बनाया कुर्सी ने जिसको क ख ग ना आया राज चलवाया कुर्सी ने कुर्सी ने भई कुर्सी ने राजा बनाया ..... बिना कुर्सी के चलते थे जब कोई पास ना आता था अपने अपने लगते थे मन को सादा ही भाता था जब से बैठे कुर्सी पर रिश्ता भुलाया कुर्सी ने कुर्सी ने भई कुर्सी...... जब से कुर्सी मिल गई है तब से क़िस्मत संबर गई है बड़े बड़े लोगों की हस्ती उसके आगे झुक गई है अब तो जेब भरी रहती है नखरा सिखाया कुर्सी ने कुर्सी ने भई कुर्सी..... रौब छोटों पर झाड़ते हैं और अपना काम निकलते हैं अपने नीचे वालों की तो बात की खाल निकालते हैं बिना बात के बात सुनाना हमें सिखाया कुर्सी ने कुर्सी ने भई कुर्सी ने राजा बनाया कुर्सी ने ©Anita #Schai #mnkibaat