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खुमार तिरी रूह का है सदाकत की राह चल, रहन तिरी गिर

खुमार तिरी रूह का है सदाकत की राह चल,
रहन तिरी गिरवी रही आंख ज़रा झुका के चल,

खु ए खुद हम हैं देखो अब रिश्ते  शर्मसार हुए,
जुंबिश  ए  जीस्त  है  आदर्श  अब  छूटते  हुए,

जबर  पापों का नफ़्स पर ..........चढ़ा रहे हैं हम,
धीरे-धीरे अपनी ही नज़र के  गुनेहगार हो रहे हम,

मखलूक में सिर्फ इंसानियत और प्यार था,
खिजर इंसान हुआ अपनी ही सोच के कैदी है हम,

शेष ............अनुशीर्षक में पढ़ें
👇👇👇👇👇👇👇👇👇 खुमार तिरी रूह का है सदाकत की राह चल,
रहन तिरी गिरवी रही आंख ज़रा झुका के चल,

खु ए खुद हम हैं देखो अब रिश्ते  शर्मसार हुए,
जुंबिश  ए  जीस्त  है  आदर्श  अब  छूटते  हुए,

जबर  पापों का नफ़्स पर ..........चढ़ा रहे हैं हम,
धीरे-धीरे अपनी ही नज़र के  गुनेहगार हो रहे हम,
खुमार तिरी रूह का है सदाकत की राह चल,
रहन तिरी गिरवी रही आंख ज़रा झुका के चल,

खु ए खुद हम हैं देखो अब रिश्ते  शर्मसार हुए,
जुंबिश  ए  जीस्त  है  आदर्श  अब  छूटते  हुए,

जबर  पापों का नफ़्स पर ..........चढ़ा रहे हैं हम,
धीरे-धीरे अपनी ही नज़र के  गुनेहगार हो रहे हम,

मखलूक में सिर्फ इंसानियत और प्यार था,
खिजर इंसान हुआ अपनी ही सोच के कैदी है हम,

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रहन तिरी गिरवी रही आंख ज़रा झुका के चल,

खु ए खुद हम हैं देखो अब रिश्ते  शर्मसार हुए,
जुंबिश  ए  जीस्त  है  आदर्श  अब  छूटते  हुए,

जबर  पापों का नफ़्स पर ..........चढ़ा रहे हैं हम,
धीरे-धीरे अपनी ही नज़र के  गुनेहगार हो रहे हम,
mrsrosysumbriade8729

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