वो महबूबा सी कलम हमारी, हर दिन नई बात सुनाती है। हमारी सुनती नही अपनी ही कहे जाती है हम भी "वाह वाह" कह कर उसके नखरे उठते हैं उसे मुस्कुराता देख कर ,हम भी खुश हो जाते है हर दिन नए रंग बिखेर कर हमारी कोरी जिंदगी को अपने नाम कर जाती है। अपने बारे में क्या कहूं ,सबकुछ तो वो ही लिख जाती हैं। ©saloni Bhatia एक शायर #AWritersStory mysterious soul Pramodini Mohapatra Deepak Roshan k r moond