यूं तो कई दोस्त है पर कोई यार हो ना पाया, कोशिशें तो बहुत हुई पर मुकम्मल प्यार हो ना पाया, साथी तो राहों के बहुत मिले पर हमराह हो ना पाया, समझ का फेर है कि हमसे इजहार हो ना पाया। समझ के पार जाता है मौसम मौसमी प्यार का, बच्चों के हाथों में दिखता है हाथ उसके यार का, मतलब इस झूठे त्योहार का मैं समझ ना पाया, सब कुछ किया बस किसी से इजहार हो ना पाया। सब्र का सबक तो बहुत ही मिला है, गुलशन में तो गुल बहुत ही खिला है, मेरे ही खाते में कोई किस्सा हो ना पाया, लोगो को समझ भी खूब आया पर इजहार हो ना पाया। बहुत सी कहानियाँ शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो जाती हैं। #इज़्हार #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi